कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
जिससे पहुँचे भाव हृदय तक,
मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?
इस जग के ताने-बाने में
अपना नाता बुना ना जाए
ना जाने तुम कहाँ, कहाँ मैं
मार्ग अचीन्हा, चुना ना जाए !
बिन संबोधन, बिन बंधन
मैं स्नेहपाश बँध जाऊँ !
कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
नियति-नटी के अभिनय से
क्योंकर हम-तुम विस्मित हों,
कुछ पल तो संग चले,
बस यही सोच-सोच हर्षित हों !
कोई भी अनुबंध ना हो, पर
पल-पल कौल निभाऊँ !
कहो ना, कौन से सुर में गाऊँ ?
जाने 'उसने' कब, किसको,
क्यों, किससे, यहाँ मिलाया !
दुनिया जिसको प्रेम कहे,
वो नहीं मेरा सरमाया !
जाते-जाते अपनेपन की,
सौगातें दे जाऊँ !
कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
जिससे पहुँचे भाव हृदय तक,
मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?