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आई, दिवाली आई !

13 अक्टूबर 2019

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आई दिवाली फिर से आई,

शुरू हो गई साफ सफाई,

आई दिवाली आई !


साफ सफाई सीमित घर तक,

रस्तों पर कचरे का जमघट,

बाजारों की फीकी रौनक,

मिली नहीं है अब तक बोनस,

कैसे बने मिठाई !

आई दिवाली आई !


हुआ दिवाली महँगा सौदा,

पनप रहा ईर्ष्या का पौधा,

पहले सा ना वह अपनापन,

हुआ दिखावे का अब प्रचलन,

खत्म हुई पहुनाई !


कभी धमाके से आती थी,

खूब पटाखों में छाती थी,

मीठा मन था मीठी बोली,

अब कैसी दीवाली, होली !!!


बेबस चेहरों की मायूसी,

मजदूरों की देख उदासी,

सारी खुशियाँ आँख चुरातीं,

त्योहारों की खानापूर्ती,

करती है महँगाई !

आई दिवाली आई !






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आई, दिवाली आई !

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आई दिवाली फिर से आई,शुरू हो गई साफ सफाई,आई दिवाली आई !साफ सफाई सीमित घर तक,रस्तों पर कचरे का जमघट,बाजारों की फीकी रौनक,मिली नहीं है अब तक बोनस,कैसे बने मिठाई !आई दिवाली आई !हुआ दिवाली महँगा सौदा,पनप रहा ईर्ष्या का पौधा,पहले सा ना वह अपनापन,हुआ दिखावे का अब प्रचलन,खत्म

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