तुम क्या दूर हुए हम तो मुस्काना भूल गए
भा गई तन्हाई महफ़िल में जाना भूल गए
यू कहने को जी रहे है आज भी तन्हा से
सच पूछो तो जिंदगी का तराना भूल गए
जब से तूने हाथ छुड़ाया हाथ हमारे से
लोगों से अब हमतो हाथ मिलाना भूल गए
ना जाने क्या बात है तेरे शहर की गलियों में
हम तो अपने घर मे भी जाना भूल गए
जब से तूने हाथ छुड़ाया हाथ हमारे से
लोगो से अब हमतो हाथ मिलाना भूल गए
नही भूले जो है बस तेरा ही एक चेहरा
बाकी सारा कबके हम जमाना भूल गए।