नहीं मुझे हर हाल में जाना होगा
क्या पता गोदड में ही खजाना होगा
बड़ी मुश्किल से पत्थर को तोड़ा है मैंने
बनाने दे मुरत मेरी
क्या पता जाने का यही बहाना होगा
मुझे जलकर राख होने दे
मिट्टी में मिलने दो खाक होने दे
शायद उसी का लिखा परवाना होगा
तुम रोते क्यों हो छटपटाते क्यों हो
इतना घबराते क्यों हो
जो कर रहा इंतजार मेरी
वो तुम से भी बड़ा दीवाना होगा
नहीं मुझे हर हाल में मुझे जाना होगा