कोई दर्द न समझा तेरे जाने के बाद
कोई मुड़कर ना देखा आजमाने के बाद
मैं तो रोता रहा मुस्कुराने के बाद
कोई दर्द न समझा तेरे जाने के बाद
मैं भटकता रहा इस गली उस गली
कोई अपना ना देखा छूट जाने के बाद
वक्त ने साथ ऐसा आगाज कि
मैं तो चलता रहा गिर जाने के बाद
आ सके और तो एक बार और आ
सारे शिकवा मिटा दूं मिल जाने के बाद
कोई दर्द न समझा तेरे जाने के बाद
कोई मुड़कर ना देखा आजमाने के बाद