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सजाने लगे हैं

24 फरवरी 2023

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आंखों में कजरा लगाने लगे हैं
अपनी जुल्फों में गजरा सजाने लगे हैं


तोड़ के दिल किसी का हाथों में मेहंदी रचाने लगे हैं
करके वादा आने की जाने लगे हैं


जा जा रे हुस्न वाले अब और ना सता
खामोशियों में भी कुछ बताने लगे हैं


मेरे दिल में रहने वाले मेरे दिलरुबा
अब अपना घर बसाने लगे हैं


जिंदगी में जुदाई का रंग भी हमने देखे
पर्दों में रहकर भी पर्दा गिराने लगे हैं


लिखे थे जो मोहब्बत के स्याही से मेरा नाम
अब नफरत के पत्थर से मिटाने लगे हैं


देखकर मेरी परछाई नजरें झुकाने लगे हैं
कैसे बदलते हैं इंसान हमें बताने लगे हैं


कभी मत आना मेरी गलियों में "मनोज"
यह लिखा हुआ तख्त लटकाने लगे हैं


अपनी जुल्फों में गजरा सजाने लगे हैं
पुस्तक लेखन प्रतियोगिता - 2023
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गेंद
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जिस तरह गेंद गोल है ठीक उसी तरह उसका कर्म भी गोल है।
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