छुप छुप कर देखता रहा हूं मैं
हाले दिल से पुछता रहा हूं मैं
तुम क्या चाहता है मुझसे बोल
अपनों के नाम पर झुकता रहा हूं मैं
चल ईक बार और भरोसा कर ले
बहुत करीब से लौटता रहा हूं मैं
दिलों को जोड़ ना आसान लगता है
बहुत तरकीबों से टूटता रहा हूं मैं
मां कसम न मार ठोकर कर "मनोज"
हर बार गिरकर उठता रहा हूं मैं
कोई मुझे समझे या न समझे
सब कुछ समझता रहा हूं मैं