मेरे हांथों में सूखी रोटी
तुम जाते हो पांच - सितारा
मेरे बच्चों के,
दांतों के पोरों में
रोटी धंसती है
मेरे पति
तुम्हारे नसेड़ी औलादों के
चार चक्कों पर , चिपक कर
चीख भी नहीं पाते
और उनकी साँसें
सड़क के गड्ढे भरने वाली
कंक्रीटों की तरह
बिखर जाती हैं
और जब मेरी मांग का सिन्दूर
मेरे ही पति के लहू से
धोया जा रहा होता है
तब तुम
अपनी पहुँच की एसिड से
चार चक्के धुलवा रहे होते हो
मै जानती हूँ
जब तुम मंहगी शराब
अपनी हलक में
उतार रहे होते हो
तब हम पंक्तियों में
झगड़ते हुए
पानी भरने का इंतज़ार करते हैं
मैं यह भी जानती हूँ, कि
जब मेरे बच्चे
भूंख से चिल्ला रहे होते हैं
उस समय, तुम्हारी औलादें
पार्टियों में हुड़दंग मचाती हैं
ये सारे छोटे-छोटे दुःख हैं
जिनपर लेटकर मुझे
तारों की संख्या, बताने की
सज़ा मिलती है
और एक बड़ा दुःख पैदा होता है
वह, यह है कि
मैं सब जानती हूँ
फिर भी कुछ कर नहीं सकती
और तुम लोग, सब जानते हो
फिर भी कुछ करते नहीं