मौसम के रंग -राग गए जाती बहार में
फूलों के लब से हास गए जाती बहार में
गुम हो गए सभी जैसे सर्द रात के में
ठंडक बनी रही दिलों में जाती बहार में
सोए हुए थे पेड़ सभी जगाने के बाद
जैसे कफस में सो गए कही जाती बहार में
उम्मीद अपनी अपनी थी सर्दी के देश में
कैसे कहे कौन रो कर ना उठे जाती बहार में
नादाँ है कुछ ना बोलिए मौसम नहीं सही
"अरु" कातिल है अजब साथ जाती बहार में
आराधना राय "अरु"