16 जून 2015
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1994 मेँ हिंदी अकादमी द्वारा पुरस्कृत , मेरी सहेली नामक मैगज़ीन मे कहानियाँ लिखी नाटक और कुछ रेडिओ प्रोग्रम्मेस की स्क्रिप्ट लिखने के एक़ अन्तराल बाद दुबारा से हिंदी लेखन करने का दुःसाहस कर रही हू । अखंड -भारत की में रचनाए हिंदी की गूंज में बेला में विश्वगाथा में निरंतर प्रकाशित हो रही है
,1994 मेँ हिंदी अकादमी द्वारा पुरस्कृत , मेरी सहेली नामक मैगज़ीन मे कहानियाँ लिखी नाटक और कुछ रेडिओ प्रोग्रम्मेस की स्क्रिप्ट लिखने के एक़ अन्तराल बाद दुबारा से हिंदी लेखन करने का दुःसाहस कर रही हू । अखंड -भारत की में रचनाए हिंदी की गूंज में बेला में विश्वगाथा में निरंतर प्रकाशित हो रही है
Dतेरे शहर में यू तो कुछ कमी ना थी तेरे बगैर पर मेरे पैरों में ज़मीं ना थी.....बहुत सुन्दर रचना !
16 जून 2015
शानदार कविता -Dts
16 जून 2015
ज़ख़्म दिल मे थे "अरु" शिकायत ना थी...अति सुन्दर! बधाई !
16 जून 2015
आपके सभी लेख मुझे बहुत अच्छे लगे .... प्रशंसा योग्य होते है आपके सभी लेख ...
16 जून 2015