आसमान तेरी किस्मत का कोना ना रहा
बहारों इस जहाँ में नज़ारा ना रहा
रोक लेते गर रुक जाता तेरा काफिला
गिर कर आफ़ताब भी सितारा ना रहा
बीती बातों के लिए बिता दी ज़िन्दगी
बहते साहिल का कोई किनारा ना रहा
कतरा- कतरा जोड़ कर जीते रहे हम भी
इस जहान में कोई अब हमारा ना रहा
कब तक सितम ढाती रहेगी बिज़लियाँ
इस आसमान में कोई सितारा ना रहा
जाती बहार क्या दे गई उससे ज़रा पूछों
"अरु" इन मरहलों में तेरा इशारा ना रहा
आराधना राय "अरु "