1 जुलाई 2015
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1994 मेँ हिंदी अकादमी द्वारा पुरस्कृत , मेरी सहेली नामक मैगज़ीन मे कहानियाँ लिखी नाटक और कुछ रेडिओ प्रोग्रम्मेस की स्क्रिप्ट लिखने के एक़ अन्तराल बाद दुबारा से हिंदी लेखन करने का दुःसाहस कर रही हू । अखंड -भारत की में रचनाए हिंदी की गूंज में बेला में विश्वगाथा में निरंतर प्रकाशित हो रही है
,1994 मेँ हिंदी अकादमी द्वारा पुरस्कृत , मेरी सहेली नामक मैगज़ीन मे कहानियाँ लिखी नाटक और कुछ रेडिओ प्रोग्रम्मेस की स्क्रिप्ट लिखने के एक़ अन्तराल बाद दुबारा से हिंदी लेखन करने का दुःसाहस कर रही हू । अखंड -भारत की में रचनाए हिंदी की गूंज में बेला में विश्वगाथा में निरंतर प्रकाशित हो रही है
Dतेरी बात को गले यू ही लगा लिए कौन था जिसने हर बार गहरे ज़ख़्म लगा दिए ....बहुत खूब !
3 जुलाई 2015
कौन था जिसने हर बार गहरे झख्म लगा दिए ... बहुत भावपूर्ण रचना ..
2 जुलाई 2015
यह जिंदगी भगवान की देन है आराधना जी और सुक-दुख का नियंत्रण भी उसने अपने ही पास रखा है
1 जुलाई 2015