3 जून 2015
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1994 मेँ हिंदी अकादमी द्वारा पुरस्कृत , मेरी सहेली नामक मैगज़ीन मे कहानियाँ लिखी नाटक और कुछ रेडिओ प्रोग्रम्मेस की स्क्रिप्ट लिखने के एक़ अन्तराल बाद दुबारा से हिंदी लेखन करने का दुःसाहस कर रही हू । अखंड -भारत की में रचनाए हिंदी की गूंज में बेला में विश्वगाथा में निरंतर प्रकाशित हो रही है
,1994 मेँ हिंदी अकादमी द्वारा पुरस्कृत , मेरी सहेली नामक मैगज़ीन मे कहानियाँ लिखी नाटक और कुछ रेडिओ प्रोग्रम्मेस की स्क्रिप्ट लिखने के एक़ अन्तराल बाद दुबारा से हिंदी लेखन करने का दुःसाहस कर रही हू । अखंड -भारत की में रचनाए हिंदी की गूंज में बेला में विश्वगाथा में निरंतर प्रकाशित हो रही है
Dआराधना जी, आप अच्छा लिखती हैं...देश-दुनिया के सरोकार पर भी कुछ लिखिए...'माँ', 'देश-प्रेम', 'जीवन', 'सफलता', 'परीक्षा', 'खुशी' आदि विषयों पर भी लिखने की कोशिश करें, आपकी लेखनी में ऐसी रचनाएँ हमारे शब्दनगरी मित्रों को बहुत पसंद आएंगी...धन्यवाद !
4 जून 2015