26 अक्टूबर 2015
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अनिल जी, भारत देश वस्तुतः अपनी संस्कृति एवं सभ्यता के लिए अनूठा देश है । एक ओर जाति-धर्म और संप्रदाय को लेकर यदि नकारात्मक सोच रखने वाले चंद लोग हैं तो दूसरी ओर एक विशाल जन समुदाय भारत की विविधता एवं 'अनेकता में एकता' के गुणगान करते नहीं थकता । इस बात का अनुमान उन भारतीय मूल के लोगों को बेहतर है जो अन्य देशों में रह रहे हैं । इसलिए जाति-धर्म के झगड़े भुलाकर लोगों को उन्नति की राह चलना चाहिए । देश में वैचारिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन हमारी एकता और अखंडता के आगे सब बौने हो जाते हैं । धन्यवाद !
27 अक्टूबर 2015