जिज्ञासा
घनश्याम तिवारी पलामू राजस्थान
*दीपावली के दिन माँ काली पूजन क्यो होता है, इसका क्या कारण,कथा है?*
समाधान
आचार्य अर्जुन तिवारी:
*जहाँ से आपने जिज्ञासा उठाई है यदि वहीं ध्यान से पढ लेते तो शायद समाधान भी मिल जाता !*
*खैर लीजिए प्रयास कर रहा हूँ*
पहले लेखनी और दावात का महत्व होता था ! पूजन क्रम में बताया गया है कि *गणेश लक्ष्मी* के पूजन के बाद *देहली विनायक* का पूजन करें तत्पश्चात *स्याही युक्त दावात को* महालक्ष्मी के सामने पुष्प तथा अक्षतपुंज पर रखकर उसमें सिंदूर से स्वास्तिक बनाये तथा मौली लपेटकर *ॐ श्रीमहाकाल्यै नम:* बोलते हुए पूजन करे !
प्रार्थना करे कि :---
*कालिके त्वं जगन्मातर्मसिरूपेण वर्तसे !*
*उत्पन्ना त्वं च लोकानां व्यवहारप्रसिद्धये !!*
यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि यहाँ महाकाली जी को *मसिरूपेण* अर्थात् दावात में जो *स्याही* है वह माना गया है !
*इसीलिए महाकाली पूजन करने का विधान है*