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जिज्ञासा - १

15 अक्टूबर 2022

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  • क्या भांग तम्बाकू आदि नशे के सेवन हमारे पुराणों में कहीं कोई निषेध है ?
  • इसका सेवन करने वालों के विषय में कोई वर्णन मिलता है ?

समाधान


आईये देखते हैं कि हमारे शास्त्र भांग तम्बाकू आदि के लिए क्या कहते हैं :---


  • विजया कल्यमेकं तु दशकल्पं तु नागिनी !
  • तमालंशतकल्पं तु धूम्रसंख्या न दीयते !!

अर्थात्:-- भांग खाने वाले को एक कल्प , अफीम खाने वाले को दश कल्प. , तमाखू खाने वाले को सौ कल्प तक नरक में रहना पड़ेगा किन्तु धूम्रपान -  वीड़ी , सिगरेट , गाँजा आदि के पीने वाले को असंख्य कल्प तक नरक में रहना पड़ेगा !

  • तमाल पत्र ह्याधानैर्ये भक्षयन्ति नराधमाः !
  • तेषां नरके वासो यावद् ब्रह्मा चतुर्मुखः !

अर्थात्:-  जो व्यक्ति तम्बाकू का सेवन करते हैं उनको तब तक नरक में रहना पड़ता है जब तक ब्रह्मा का चार युग नहीं वीतता है !

  • ये पिवन्ति धूम्रपानं लक्ष्मीः तस्य नश्यति !
  • तद्गृहात्याति लक्ष्मीर्वै गुरौर्भक्तिर्न संभवेत् !!

अर्थात्:- तम्बाकू पीने वाले की लक्ष्मी नष्ट हो जाती हैं तथा वह व्यक्ति अपने गुरु के प्रति भक्ति भी नहीं दिखा सकता !

  • ताम्बूलं भक्षयन्तो ये श्रृण्वन्तीमत् कथां नराः !
  • स्वविष्ठां खादयन्त्येतान्नरके यम किंकरा: !!

  •  ( शिवपुराण)

अर्थात्:- पान खाकर यदि कथा सुनी जाय तो मृत्यु के बाद यमराज उसे विष्ठा खिलाते हैं कथा कहने वाले तथा यजमान को असंख्य जन्मों तक पाप का भागी होना पड़ता है !

  • ब्राह्मणाः क्षत्रियाः शूद्राः वैश्याश्च मुनिसत्तम !
  • श्वपचैस्सदृशो ज्ञेयः तमाल पानमात्रत: !!


अर्थात्:- ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य अथवा शूद्र जो भी हो यदि वह तम्बाकू खाता है तो उसे चाण्डाल की तरह समझना चाहिये !

  • गृहस्थानेवविज्ञेयः तेनैव ब्रह्मचारिणः !
  • वानप्रस्था न ते ज्ञेयः यतयो न भवन्ति हि  !!



अर्थात्:-  तम्बाकू खाने वाला गृहस्थ, ब्रह्मचारी, वानप्रस्थी और संन्यासी अपने को क्रमशः गृहस्थ, ब्रह्मचारी, वानप्रस्थी तथा संन्यासी नहीं कह सकता !

  • धर्मेणैव नृणां ज्ञेयः तमाखू धूम्रपानतः !
  • पतन्तिरौरवे घोरे नरके नात्र संशयः !!

अर्थात्:- धर्म के द्वारा मनुष्य को ज्ञान करना चाहिये तमाखू एवं धूम्रपान करने से व्यक्ति घोर रौरव नरक को जाता है !

  1. स्रोत:- पद्मपुराण/शिवपुराण


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