आईये देखते हैं कि हमारे शास्त्र भांग तम्बाकू आदि के लिए क्या कहते हैं :---
- विजया कल्यमेकं तु दशकल्पं तु नागिनी !
- तमालंशतकल्पं तु धूम्रसंख्या न दीयते !!
अर्थात्:-- भांग खाने वाले को एक कल्प , अफीम खाने वाले को दश कल्प. , तमाखू खाने वाले को सौ कल्प तक नरक में रहना पड़ेगा किन्तु धूम्रपान - वीड़ी , सिगरेट , गाँजा आदि के पीने वाले को असंख्य कल्प तक नरक में रहना पड़ेगा !
- तमाल पत्र ह्याधानैर्ये भक्षयन्ति नराधमाः !
- तेषां नरके वासो यावद् ब्रह्मा चतुर्मुखः !
अर्थात्:- जो व्यक्ति तम्बाकू का सेवन करते हैं उनको तब तक नरक में रहना पड़ता है जब तक ब्रह्मा का चार युग नहीं वीतता है !
- ये पिवन्ति धूम्रपानं लक्ष्मीः तस्य नश्यति !
- तद्गृहात्याति लक्ष्मीर्वै गुरौर्भक्तिर्न संभवेत् !!
अर्थात्:- तम्बाकू पीने वाले की लक्ष्मी नष्ट हो जाती हैं तथा वह व्यक्ति अपने गुरु के प्रति भक्ति भी नहीं दिखा सकता !
- ताम्बूलं भक्षयन्तो ये श्रृण्वन्तीमत् कथां नराः !
- स्वविष्ठां खादयन्त्येतान्नरके यम किंकरा: !!
- ( शिवपुराण)
अर्थात्:- पान खाकर यदि कथा सुनी जाय तो मृत्यु के बाद यमराज उसे विष्ठा खिलाते हैं कथा कहने वाले तथा यजमान को असंख्य जन्मों तक पाप का भागी होना पड़ता है !
- ब्राह्मणाः क्षत्रियाः शूद्राः वैश्याश्च मुनिसत्तम !
- श्वपचैस्सदृशो ज्ञेयः तमाल पानमात्रत: !!
अर्थात्:- ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य अथवा शूद्र जो भी हो यदि वह तम्बाकू खाता है तो उसे चाण्डाल की तरह समझना चाहिये !
- गृहस्थानेवविज्ञेयः तेनैव ब्रह्मचारिणः !
- वानप्रस्था न ते ज्ञेयः यतयो न भवन्ति हि !!
अर्थात्:- तम्बाकू खाने वाला गृहस्थ, ब्रह्मचारी, वानप्रस्थी और संन्यासी अपने को क्रमशः गृहस्थ, ब्रह्मचारी, वानप्रस्थी तथा संन्यासी नहीं कह सकता !
- धर्मेणैव नृणां ज्ञेयः तमाखू धूम्रपानतः !
- पतन्तिरौरवे घोरे नरके नात्र संशयः !!
अर्थात्:- धर्म के द्वारा मनुष्य को ज्ञान करना चाहिये तमाखू एवं धूम्रपान करने से व्यक्ति घोर रौरव नरक को जाता है !
- स्रोत:- पद्मपुराण/शिवपुराण