इस शहर उस शहर कितने शहर बदल लेते है लोग
ख्वाइशों की कशमकश में घर बदल लेते है लोग
ज़िंदगी की धूप - छांव में नफा नुकसान तौलते हुए
ना बदलने का इरादा हो पर बदल लेते है लोग
नए दौर की मोहब्बत में पर्स का रखिए ख़याल
खाली जेब होने पर हमसफ़र बदल लेते है लोग
खेल लेते हैं ये अपनों से ही खेल अच्छा
काम निकल जाने पर यहाँ नंबर बदल लेते है लोग
खुदा पर सब्र की भी है यहाँ तारीखें तय
मुराद पूरी ना होने पर उसका दर बदल लेते है लोग
कभी - कभी मर जाती है जिस्म से पहले रूह
ऐसे हालात में थककर डगर बदल लेते है लोग - Nalayak's Diary