संबन्धों में
संबन्धों में ‘महत्व’ और ‘विवशता’ तथा nksuksa का अपना विशेष स्थान है। एक, व्यक्ति अपने कटस्थ को कितना ‘महत्व’ देता है, यह उसके ऊपर निर्भर करता है तथा दूसरा, अपने समीपस्थ की मजबूरी को कितना समझता है तथा दोनों को एक-दूसरे पर कितनी विश्वसनीयता है? दो संबन्धियों में ये दोनों गुण हों तो निःसंदेह संबन्ध गो