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जीवन की परिभाषा

4 मार्च 2024

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जीवन की परिभाषा क्या है।  

क्यूँ न समझे रे तू प्राणी।।  

कितना अनमोल तेरा जीवन है।  

क्यूँ न समझे रे तू प्राणी।।  

पल-पल तू स्वयं को खोता।  

क्यूँ न समझे रे तू प्राणी।।  

बहुत मोल है तेरे जीवन का।  

क्यूँ न समझे रे तू प्राणी।।  

इतना सस्ता क्यूँ रे होना।  

कोई भी चाहे तुझको लेना।।  

स्वयं की कीमत क्यूँ ना जाने।  

स्वयं ही खुद को क्यूँ रे खोना।।  

ये जीवन है उसकी नेमत।  

बड़े प्यार से तुझको बनाया ।।  

उसके दिल से पूछो रे कीमत।  

उसकी कृति को स्वयं से खोता ।।  

जीवन की परिभाषा क्या है।  

क्यूँ न समझे रे तू प्राणी।।  

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मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने बहन 👌👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा और लाइक जरूर करें 🙏🙏

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