ईश्वर ने भी बहुत सोच कर बनाएँ होंगे आँसू
आँसू अगर नहीं बनाए होते तो सोचो क्या ही होता
कोई अपनी तकलीफ ना किसी से कह सकता
और ना कोई किसी की तकलीफ समझ सकता
आँसू ही होते हैं की अगर खुशी हो तो भी छलक जाते हैं
और छलक कर अपनी खुशी जाहिर कर देते हैं
और अगर दुखों का पहाड़ भी टूट जाए
तो भी बिखरने नहीं देते आँसू
टूटने नहीं देते ये आँसू
ना छलकते अगर यह गरम आँसू
तो इंसान कैसे ही खुद को हल्का महसूस करता
वो तो दुखों में खुद को ही खो देता
हे ईश्वर आपका बहुत बहुत धन्यवाद
की आपने इन आँसुओ के रूप में स्वयं
को इंसान का मित्र बना कर भेजा है