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एक स्त्री अपनी पीड़ा किससे कहे

26 फरवरी 2024

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एक स्त्री की पीड़ा को समझना क्या किसी के वश में नहीं है,  या कोई इसे समझना ही नहीं चाहता है। वह चाहे एक पुत्री के रूप में,  बहन के रूप में,  पत्नी के रूप में अथवा माँ के रूप में हो। हर  जगह वह अपने मन की बात कहने के लिए ऐसा व्यक्ति ढूंढती है, जिससे वह अपने भीतर की हर कसक, हर पीड़ा को साझा कर सके। परन्तु उसकी तलाश  अधूरी की रह जाती है। अंदर से पूरी तरह से टूटी हुई स्त्री लोगों के सामने एक खूबसूरत और खुशहाल व्यक्तित्व का झूठा मुखौटा पहने हुए रहती है, जैसे की उससे ज्यादा खुश और संपन्न कोई भी नहीं है।                                                     

                          

आरती की अन्य किताबें

आरती

आरती

धन्यवाद बहन जी, बस प्रयास किया है अपने भाव को लिखने की कोशिश की है। आप सबसे प्रेरणा मिल रही है लिखने की।

16 मार्च 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत व ह्रदयस्पर्शी पंक्तियां लिखीं आपने बहन 😊🙏🙏🙏

26 फरवरी 2024

आरती

आरती

27 फरवरी 2024

प्रभा मिश्रा बहन जी, सर्वप्रथम आपको दिल से धन्यवाद। बहन जी मैंने आपकी पुस्तक कचोटती तन्हाइयाँ पढ़ी। इस पुस्तक को पढ़ते हुए ऐसा लगा की यह हमारी ही नहीं वरन पूरे संसार में हर उस व्यक्ति की कहानी है जिसको लालच और स्वार्थ ने घेरा हुआ है, जो लालच वश अपने अहम मे सिर्फ अपना स्वार्थ देखता है और जब उसका अंतिम क्षण नजदीक आता है और उसकी स्थिति उस समय कितनी भयावह होती है। परंतु व्यक्ति यह भूल जाता है। और अपने कर्म अपने स्वार्थ वश खराब कर लेता है। प्रेरणादायी कहानी।

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर और सटीक लिखा है आपने बहन 👌👌 आप मुझे फालो करके मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏🙏

26 फरवरी 2024

आरती

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27 फरवरी 2024

मीनू द्विवेदी बहन जी, आपको दिल से धन्यवाद।

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एक स्त्री अपनी पीड़ा किससे कहे

26 फरवरी 2024
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एक स्त्री की पीड़ा को समझना क्या किसी के वश में नहीं है,  या कोई इसे समझना ही नहीं चाहता है। वह चाहे एक पुत्री के रूप में,  बहन के रूप में,  पत्नी के रूप में अथवा माँ के रूप में हो। हर  जगह वह अपने मन

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स्त्री का अपने वजूद के लिए तरसना

27 फरवरी 2024
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 आज मैं अगर बात करूं, जब एक कन्या संतान माँ के गर्भ मे होती है। तभी से उस संतान को अपने जीवन को बचाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। क्योंकि कोई भी समाज का व्यक्ति कभी भी  गर्भवती महिला जोकि गर्भ से

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स्त्री का अपने वजूद के लिए तरसना

27 फरवरी 2024
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 आज मैं अगर बात करूं, जब एक कन्या संतान माँ के गर्भ मे होती है। तभी से उस संतान को अपने जीवन को बचाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। क्योंकि कोई भी समाज का व्यक्ति कभी भी  गर्भवती महिला जोकि गर्भ से

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ऐसी भी साजिश करते हैं

2 मार्च 2024
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 कहाँ है वो इंसान, कहाँ है वो इंसान  जो कहते नहीं थकता था, प्रिय मैं हूँ।   मैं हूँ मैं हूँ कहते नहीं थकने वाला   कहाँ हैं कहाँ है एक स्त्री का विश्वास।।   तोड़ने वाला प्रिय के प्रियवर   नहीं जानत

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स्त्री का कोमल हृदय

4 मार्च 2024
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एक औरत क्यूँ ही अपने आप को इतना सस्ता मान  कर स्वयं के साथ अन्याय करने का अधिकार किसी को भी दे देती है। कोई भी जो उसको सिर्फ प्यार के दो लफ्ज़ बोल कर उसके स्वयं के ऊपर चाहे वो उसका मन हो, आत्मा हो अ

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जीवन की परिभाषा

4 मार्च 2024
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जीवन की परिभाषा क्या है।   क्यूँ न समझे रे तू प्राणी।।   कितना अनमोल तेरा जीवन है।   क्यूँ न समझे रे तू प्राणी।।   पल-पल तू स्वयं को खोता।   क्यूँ न समझे रे तू प्राणी।।   बहुत मोल है तेरे जीवन क

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स्त्री का साक्षर होना उतना ही आवश्यक है जितना की एक पुरुष का

6 मार्च 2024
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स्त्री का साक्षर होना उतना ही आवश्यक जितना की एक पुरुष का लेकिन विडंबना यह है की आज भी इस बात को स्वीकार करने मे कितने ही लोग सक्षम हैं। एक कन्या के जन्म लेने के साथ ही उससे यह अपेक्षा की जाने लगती है

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मन की तकलीफ

11 मार्च 2024
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 मन की तकलीफ किसको सुनाएँ   किससे कहें अपने अंदर के उठते तूफान को   कोई है क्या ऐसा जो समझ पाए बिन कहे ही   क्यूँ ही बेचैनी होती है इस दिल में   क्यूँ ही तड़प होती है इस देह में    हम कभी ना कह पा

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आँसू

15 मार्च 2024
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 ईश्वर ने भी बहुत सोच कर बनाएँ होंगे आँसू   आँसू अगर नहीं बनाए होते तो सोचो क्या ही होता   कोई अपनी तकलीफ ना किसी से कह सकता और ना कोई किसी की तकलीफ समझ सकता आँसू ही होते हैं की अगर खुशी हो तो भी

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स्वयं के अंदर का द्वंद

16 मार्च 2024
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हम क्यूँ ही नहीं समझ पाते, स्वयं के अंदर के द्वंद को, क्या कभी सुनने की कोशिश की है हमने, या सिर्फ बाहर के शोर में, भीतर का द्वंद सुनना ही नहीं चाहत हम। क्या कभी हमने अपने आपको सुनने की कोशिश की है। न

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