रात के 11 बज रहे थे।मोहल्ले की गलियाँ सुनसान हो गयी थीं।उस दिन ऑफिस से लौटने में अंजू को देर हो गयी,हो भी क्यों न कलकत्ते की सड़कों पर वाहनों से ज्यादा लोगों की मौजूदगी होती है और उस दिन भी कोई इसी भीड़ का शिकार हो गया था।हुआ यूं कि उस भीड़ भरी सड़क पर शराब के नशे में टुल्ल किसी के बस से टकरा जाने के कारण सड़कों पर वाहनों की आवा-जाही अगले दो घंटों के लिए रोक दी गयी थी। दो घंटे बाद बड़ी मुश्किल से जब सबकुछ ठीक हुआ तो अंजू अपने गली के नुक्कड़ पर पहुंची जहाँ बस उसे रोज़ छोड़ जाया करती थी।
अंजू ने चलना शुरू किया तो पहले थोड़ी सहमी कि इतनी रात गए उसके घर तक कि ये 15 मिनट की दूरी जो वह हर रोज़ बड़ी आसानी से तय कर लेती थी,क्या आज भी ये आसान होगा?इस सवाल के साथ-साथ अंजू अपने रास्ते पर आगे बढ़ती जा रही थी। लगभग 2-3 मिनट बाद उसे लगा जैसे उसके पीछे कोई है जो यकीनन किसी प्रयास में है।वह और तेजी से रास्ते पर आगे बढ़ने लगी और समान रूप से उस अनजान व्यक्ति के कदमों की आहट भी महसूस करती रही।एक बार हिम्मत करके उसने पीछे मुड़कर देखा और पाया कि उसका आभास वास्तविक था।एक लड़का था जो काला शर्ट पहने,बाल बिखेरे,आँखें मीजते उसके पीछे चला आ रहा था।अंजू को कुछ समझ न आया।वह बस सोचने लगी कि अपने घर के दरवाजे तक कब पहुँचे।
15 मिनट की वो दूरी अंजू ने उस दिन लगभग 10-11 मिनट में ही पूरी कर ली और अंततः अपने घर के गेट पर जा रुकी।क्योंकि अब वह अपनी मंज़िल तक पहुंच चुकी थी और उसे पता था कि यहाँ वह पूरी तरह सुरक्षित है,उसने बड़ी बेबाकी से उस लड़के से पूछा कि तुम कौन हो और मेरे पीछे-पीछे क्यों चले आ रहे हो? लड़के ने एक हल्की सी मुस्कुराहट के साथ उसे देखा और कुछ देर थमकर कहा -"मैं हर रोज़ गली के नुक्कड़ पर तुम्हारा इन्तज़ार किया करता हूँ ।आज तुमने लौटने में इतनी देर कर दी तो सोचा तुम्हे घर तक छोड़ आऊँ....अब चलता हूँ...बाय!!!!! "
अंजू कई सवाल मन में लिए उसे जाते हुए देखती रही।