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कहानी अब तक

12 दिसम्बर 2021

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 रात को छुपकर रवि-असद दोनों राधा के घर जाते असद ध्यान रखता और रवि राधा से बालकनी में मिलता,मगर किसको पता था इनकी खुशियां जल्दी ही मातम में बदलने वाली थी |
वक़्त बीतता गया असद-रवि और राधा नें जवानी में क़दम रखा| दोनों नोजवान गठीले बदन लंबी डील डॉल के साथ साथ -साथ रहते घर कारोबार की कोई फिक्र ना थी,कॉलेज और दोस्तों में आवारागर्दी करते कॉलेज में दोनों की दोस्ती का बोलबाला था,कोई इन दोनों से उलझने की हिम्मत नही करता था| कॉलेज में एक मनचला अर्जुन शेट्टी भी था जिसका काम ड्रग्स,और नशीले पदार्थ स्टूडेंट्स को बाँटना था,उस का भाई रुद्रा शेट्टी एक राजनैतिक पार्टी का अध्यक्ष था, वह भी बड़े पैमाने पर ड्रग्स का कारोबार करता था।बस यही वजह थी की कोई उस्से दुश्मनी मोल नहीं लेता था।
असद-रवि दोनों उसे कईं बार उसके कामों की वजह से उसे धमकी भी दे चुके थे।
राधा भी इसी कॉलेज में पढ़ती थी, राधा की सहेली रमा को अर्जुन शेट्टी के गुंडों ने जबरदस्ती ड्रग्स देने की कोशिश की राधा के विरोध करने पर उसका हाथ पकड़ लिया राधा ने उसे ज़ोरदार थप्पड़ मारा यह बेइज़्ज़ती वोह सह ना सका और राधा को अपने गुंडों से उठवा लिया| वोह उसे अपने अड्डे पर ले गया वो राधा के साथ कुछ करता उससे पहले ही वहां असद-रवि पहुंच गए और पच्चीस-तीस लोगों के झुंड से भीड़ गए दोनों को खूब चोटें आयी मगर वो राधा का बचाने में कामयाब हो अर्जुन शेट्टी को दिमागी चोट आई और वह कोमा में चला गया, असद-रवि,राधा को घर छोड़कर अपने-अपने घर गए और किसी को अपने घर कुछ न बतानें को कहा घर वालों नें पूछा तो रवि-असद नें मोटरसाइकिल से गिरने की बात कहकर टाल दिया|  
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रचनाएँ
शत्रु
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दुश्मन(शत्रु) भाग-1(chapter-1) लेखक-सऊद अहमद कहानी उस वक़्त की है जब भारत आज़ाद बस हुआ ही था| क़ई मुस्लिम परिवार पाकिस्तान गए मगर जिन्होंने हिंदुस्तान को ही अपना वतन माना वो सब यही रुक गए| इसी बीच हिंदुस्तान के गुजरात राज्य में पनप रही थी एक कहानी एक अद्भुत मगर खूबसूरत, खतरनाक मगर दिलेरी से भरपूर थोड़ी दोस्ती ओर दुश्मनी की नींव पर टिकी दो मज़हब ओर रिश्तों को जोड़ने वाली यह कहानी| कहानी शुरू होती है गुजरात के शहर जूनागढ़ से जहां हर कोई मिल जुल कर ओर सुख शांति से अपना जीवन बिता रहा था। इसी माहौल में कई सालों से कच्ची बस्ती सितारा होटल के पास एक बड़ा मकान था, तीन मंज़िल के इस मकान के आस पास सब कच्चे मकानों की कतारें थी,यह मकान था हैदर अली का जिस के एक 5 साल की बेटी उमेरा अली ओर 9 साल का बेटा असद अली था। इन बच्चों की माँ ज़ुबैदा का असद को जन्म देते वक़्त इंतेक़ाल हो चुका था। हैदर अपने बच्चों को दिल ओ जान से चाहता था ओर उनकी खुशी में रज़ामंद रहता था। इलाके में लोग उनसे राय मशवरा लेने आते थे, हैदर अली उनकी परेशानियों को हल करने की कोशिश करता।लोग उसे खान बाबा कहते। उनकी राजनीति में भी अच्छी पैठ थी। इनके पड़ोस में ही शिव मंदिर के पास सेठ मणिशंकर त्रिपाठी का घर था,लोग उन्हें त्रिपाठी जी के नाम से जानते थे,इनके मात्र एक ही औलाद थी रवि त्रिपाठी। भरा पूरा परिवार ओर सबसे छोटा होने के कारण दुलार भी रवि को सबसे ज़्यादा मिलता।त्रिपाठी जी भी राजनीति में अपनी पार्टी के मुख्य दावेदार थे।उनके चर्चे भी बहुत दूर-दूर तक थे। रवि और असद दोनों एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे,रवि मंदिर से प्रसाद लेकर असद को खिलाता तो असद भी पीर बाबा की नियाज़ की खीर असद को खिलाता| इन दोनों की दोस्ती उनके घर वालों को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी, आए दिन इसी बात पर रवि और असद के घर में कोई ना कोई झगड़ा होता रहता था, मगर यह दोनों फिर भी मिलते और सभी बातों को नजरअंदाज करते रहते। मंदिर के ठीक पीछे पुजारी जी का घर था, उनके एक मात्र पुत्री राधा थी और कोई उन का सगा संबंधी न था,राधा को बड़े प्रेम से पाला और पढ़ाया मगर राधा तो रवि के प्रेम में दीवानी थी,और रवि भी राधा पर अपनी जान छिडकता था| राधा असद को भाई भी से भी बढ़कर मानती थी,और राखी को असद को राखी बांधती थी, असद भी कहता मेरी एक नही दो बहनें हैं|

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