फिल्मों का शौक शुरू से रहा हैं पर गोविंदा वाली पीढ़ी में जन्म लेने के कारण कभी भी मनमोहन देसाई के ज़माने की फिल्में देखना अच्छा नही लगा। गुरुदत्त, राज कपूर की फिल्में तो जैसे किसी और ही दुनियां की लगती थी। राजेन्द्र कुमार, दिलीप कुमार, राजेश खन्ना, जितेंद्र, विनोद खन्ना, शत्रुघन सिन्हा, धर्मेंद्र, विनोद मेहरा, संजीव कुमार, सब कलाकारों के नाम पता थे क्योंकि जब भी दूरदर्शन पर इनकी फिल्में आती थी तो समय काटने के लिए उनको देखने के अलावा कोई और चारा था ही नही। खैर गोविंदा, सलमान, आमिर, शाहरुख, अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ, सनी देओल के आगे ये सब कलाकार एकदम गायब से ही हो गए थे पर एक कलाकार फिर भी था जो अब भी टिका हुआ था जिसको मेरे दादा दादी लंबू के नाम से जानते थे।
1996 में पता चला कि भारत में पहली बार विश्व सुंदरी प्रतियोगिता आयोजित हुई हैं। कुछ लोगों के लिए भारत अभी ताज़ा ताज़ा ही असहिष्णु, संकीर्ण वगैरह वगैरह हुआ हैं पर उस समय भी इसके खिलाफ खूब होहल्ला हुआ था। खैर प्रतियोगिता किसी तरह खत्म हुई और कोई यूनानन ताज़ ले गयी पर असल खबर तब बनी जब पता चला कि सब व्यवस्था करने वाली कंपनी ही दिवालिया हो गयी। कंपनी के मालिक ने इतने सालों की मेहनत के बाद जो कमाया सब डूब गया। घर तक बेचने की नौबत आ गयी। कर्ज़ा चुकाने के लिए अपने से आधी उम्र की नायिकाओं के साथ ठुमके लगाते हुए "हीरा ठाकुर" जैसा अमर किरदार दिया जो आज भी हर सप्ताहांत पर सेट मैक्स नामक चैनल पर दिखाई दे जाता हैं पर कही बात नही बनी। कोई फ़िल्म नही, कोई विज्ञापन नही, कोई काम नही।
पर तभी जैसे किसी ने टोटका सुझाया हो और कहा कि "बकरा" दाढ़ी रख लो, बहुत लकी रहेगी तुम्हारे लिए। 58 साल की उम्र में भी क्लीन शेव रहने वाले कलाकार ने जैसे ही बकरा दाढ़ी रखी, किस्मत ही बदल गयी। एक के बाद एक फिल्में मिलने लगी और साथ ही साथ वर्ष 2000 में एक टीवी कार्यक्रम मिला जिसने और लोगों को तो इतना करोड़पति भले न बनाया हो पर इस कलाकार को इतना जरूर बना दिया कि उसने 100 कऱोड रुपए तक का कर्ज़ा चुका दिया। रामायण, महाभारत के बाद अगर कोई कार्यक्रम इतना लोकप्रिय रहा हैं तो वो यही था। हर एपिसोड में खिलाड़ियों से बात करते हुए उनको बताना की कैसे उनका भी उस स्थान से संबंध रहा हैं और हमारा परेशान होकर बोलना की ये आखिर किस किस जगह रह चुका हैं, आज भी याद हैं। लोगों से जुड़ने के इसी तरीके को हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बखूबी हाईजैक कर लिया और वो उस तरीके को आज भी अपने हर भाषण में बिना चूके इस्तेमाल करते पाए जाते हैं।
शायद यही बात हैं कि एक "कौन जात हो भाई?" वाले पत्रकार जो मोदी विरोधियों की आंखों के "सेब" हैं और जिनका चेहरा मोहरा और बालों का स्टाइल कुछ कुछ इन कलाकार से मिलता हैं, इनसे खार खाते हैं और इनको बार बार सरकारी घोषणाओं का प्रचार करने वाला कहकर संबोधित करते हैं। उन पत्रकार को लगता हैं कि उनके "डुप्लीकेट" में बहुत क्षमता थी और वो भी बड़े नेता बन सकते थे पर इन्होंने कोशिश ही नही की। ऐसा नही हैं कि इन्होंने कोशिश नही की, 3 साल सांसद बनकर रहे पर जब राजनीति के लिए जो बेशर्मी चाहिए वो जुटा नही पाए तो बीच में ही इस्तीफा दे दिए पर इनकी पत्नी वो कर पायी जो ये न कर पाए इसलिये अब भी अखिलेश या मुलायम या शिवपाल जिसकी भी वो पार्टी हैं, उसकी तरफ से सांसद हैं।
खैर 17 साल में, बहुत से नए नए कलाकार आ चुके हैं पर आज 75 वर्ष की उम्र में ये कलाकार जिनका नाम अमिताभ बच्चन हैं और भी बड़े कलाकार बन चुके हैं। 500 करोड़ से ऊपर की संपत्ति हैं। भारत के सबसे अमीर कलाकारों में शामिल हैं। फिल्मों, विज्ञापनों की कोई कमी नही हैं और आज भी वही टीवी कार्यक्रम कर रहे हैं जिसने इनकी क़िस्मत बदल दी थी हालांकि सुना हैं कि अब एक एपिसोड की फीस कई गुना बढ़ कर 1.5 कऱोड हो गयी हैं। इसलिए जब भी ये कार्यक्रम की शुरुआत में बोलते हैं "कौन बनेगा करोड़पति" तो बेशक इनके अंदर से एक आवाज़ तो जरूर आती होगी कि "कोई और बने न बने, मैं तो आज फिर डेढ़ करोड़पति बनकर ही जाऊंगा।"
वैसे आजकल के माहौल को देखकर एक बड़ा ही फालतू सा सवाल हैं जो दिमाग में कुछ ज्यादा ही उमड़ घुमड़ रहा हैं। मैं माननीय आदरणीय सुप्रीम कोर्ट से पूछना चाहता हूँ कि ये जो अमिताभ बच्चन जी "कौन बनेगा करोड़पति" में घड़ी घड़ी इनाम की धनराशि के चेक काटकर कागज़ खराब करते हैं पर अंत में उन चेक को इस्तेमाल न करके एक नकली सी एक्सिस बैंक की एप्प से पैसे ट्रांसफर करते हैं, इसपर भी कुछ बैन वगैरह लगाकर पर्यावरण बचाने का विचार हैं क्या आपका?