बन के हवा वो गुजरते है जब सामने से
मौसम ये ओर भी हां हंसी
हो जाता है कसम से
है जादूगरी उस निगाह की
जो मिली थी एक बरसात में
हम थे देखा करे हां उसे यू ही
कसम से
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)
17 सितम्बर 2022
बन के हवा वो गुजरते है जब सामने से
मौसम ये ओर भी हां हंसी
हो जाता है कसम से
है जादूगरी उस निगाह की
जो मिली थी एक बरसात में
हम थे देखा करे हां उसे यू ही
कसम से
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)
11 नवम्बर 2022