प्रेम को महसूस जिसने किया
बस जीवन उसी ने जिया
प्रेम अर्पण भी प्रेम समर्पण भी
प्रेम तप भी प्रेम त्याग भी
प्रेम राधा भी प्रेम मीरा भी
प्रेम रूखमणी भी प्रेम मोहन भी
प्रेम धरा भी प्रेम क्षितिज भी
प्रेम तू भी प्रेम मैं भी
प्रेम शक्त भी प्रेम आशक्त भी
प्रेम धीर भी प्रेम अधीर भी
हर जगह प्रेम की धारा है
यही सर्वोत्तम विचारधारा है
सुशील मिश्रा(क्षितिज राज )