कम किया है न कभी प्यार ज़ियादा किया है
काम चल जाए हमारा मगर इतना किया है
चाहता हूँ के मरासिम को करूँ तर्क मगर
अंदर अंदर तो ये रहता है के धोखा किया है
वक़्त तो ये है की उनकी ही जड़ों को काटो
जिन दरख़्तों ने कभी आप पे साया किया है
दोस्ती इश्क़ कराबत मुबाहिसा फिर हिज्र
आपने कुछ भी कहो काम तो पूरा किया है
तुम बहुत देर के बाद आए हो दुनिया में मेरी
इस ख़ुशी ने भी मेरे ग़म में इज़ाफ़ा किया है