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क़िस्से शुरूअ होंगे हज़ारों , हज़ार ख़त्म

16 अक्टूबर 2021

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क़िस्से शुरूअ होंगे हज़ारों , हज़ार ख़त्म

बिस्तर पे आ गये हैं वो यानी के प्यार ख़त्म


ऐसा नही है ज़ख्म के हालात फिर गए 

बस बात ये है तुमपे मेरा ऐतबार ख़त्म


अपनी कहो हुआ क्या सरे मारका ए हिज्र

मेरे लिए तो हो ही गए ग़मगुसार ख़त्म


मैंने तवील रातें भी रोकर गुज़ार दीं

होता नही मगर ये मेरा इंतज़ार ख़त्म


हमको पता है अपना मुक़द्दर तो दार है

घबरा के हम चले न गये  कू ए यार ख़त्म


सरकार आपकी है  अदलिया है आपका

गिन गिन के आप कीजिए सब होशियार ख़त्म


बेशक ग़ुरूर हमको बहोत अपने फ़न पे है 

हम बज़्म मे न हो तो समझना बहार ख़त्म


दश्त ए सुख़न मे ढूँढ रहा हूँ मैं ऐक शख़्स

वो शख़्स ढूँढ लूँ तो समझना शिकार ख़त्म 

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