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अब के फिर राह नई पाँव के छाले नए थे

14 अक्टूबर 2021

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अब के फिर राह नई पाँव के छाले नए थे

चारागर भी थे नए देखने वाले नए थे

اب کہ پھر راہ نئی پانؤ کے چھالے نئے تھے

چاراگر بھی تھے نئے دیکھنے والے نئے تھھ

उसकी चाहत में कमी आ न सकी वक़्त के साथ

मुद्दतों बाद भी कपड़े जो निकाले नए थे

اسکی چاہت میں کمی آ نہ سکی وقت کے ساتھ

مدتوں بعد بھی کپڑے جو نکالے نئے تھے

वक़्त के साथ बदलती है सुख़न फ़हमी भी

मैं वही था प मेरे चाहने वाले नए थे

وقت کے ساتھ بدلتی ہے سخن فہمی بھی

میں وہی تھا پہ میرے چاہنے والے نئے تھے

मैंने भी तंज़ की तरक़ीब बदल कर रख दी

पर हरीफ़ों ने भी जुमले जो उछाले नए थे

مینے بھی طنز کی ترقیب بدل کر رکھ دی

پر حریفوں نے بھی جملے جو اچھالے نئے تھے

उन चराग़ों को हवाओं ने सिखाया है ज़रूर

जिनकी मिट्टी थी वही जिनके उजाले नए थे

ان چراغوں کو ہواؤں نے سکھایا ہے ضرور

جنکی مٹی تھی  وہی جنکے اجالے نئے تھے

मुत्तफ़िक़ किस तरह होता मैं तेरी बातों से

न दलीलें थीं नई और न हवाले नए थे

متفق کس طرہ ہوتا میں تیری باتوں سے

نہ دلیلیں تھیں نئی اور نہ حوالے نئے تھے

कोई मंजर तेरी आँखों को भला क्या लगता

मैंने देखा था के उनमें पड़े जाले नए थे

کوئ منظر تیری آنکھوں کو بھلا کیا لگتا

میںے دیکھا تھا کہ انمیں پڑے جالے نئے تھے

मैं किसी से कोई शिकवा भी करूँ तो क्यूँ कर

न नए चाँद थे महफ़िल में न हाले नए थे

میں کسی سے کوئ شکوا بھی کروں تو کیوں کر

نہ نئے چاند تھے محفل میں نہ حالے نئے تھے

सच को हर दौर में सूली पे चढ़ाया सबने

वक़्त के हाँथ में सुकरात के प्याले नए थे

سچ کو ہر دور میں سولی پہ چڑایا سبنے

وقت کے ہانتھ میں سقراط کے پیالے نئے تھے

मुफ़लिसी खा गयी उम्मीद के मौसम का सुरूर

मैंने वो ख़्वाब जो आँखों से निकाले नए थे

مفلسی کھا گئ امید کے موسم کا سرور

میںے وہ کھواب جو آنکھوں سے نکالے نئے تھے

-

Harshit mishra

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रौज़न
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शेअरी मजमुआ
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