यही बात मृतयु के विषय में भी है ।मृत्यु भी मनुष्य के हाथ में नहीं है ।माना जाता है कि, व्यक्ति की मृत्यु का दिन अर्थात आयु-------- ईश्वर के द्वारा निश्चित कर दी जाती है। अतः उसकी मृत्यु निश्चित किए गए दिन ही होगी ।आप इसमें कुछ नहीं कर सकत ।हो सकता है यह कथन सत्य हो ? परंतु मुझे इस कथन में भी ----'ललभाग्य पर अंधा विश्वास ही दिखाई देता है ।मैं भी इस बात को मानता हूं, कि आप अमर नहीं हो सकते ।ना ही अपनी आयु को अपनी इच्छानुसार आगे बढ़ा सकते हैं ।परंतु मेरी मान्यता है कि ,हमारे खान-पान ,संयमित जीवन और स्वास्थ् जीवन के उपायों का सभी पालन करते हैं ,तब आपकी आयु चाहें, वह 2-4 साल ही बढ़ सकती है। जिस प्रकार एक ब्रांड के स्कूटर की आयू, तथा अन्य मशीनों की आयु ,एवं कुशलता--'----- प्रत्येक व्यक्ति के साथ समान आयू और भव्यता के साथ नहीं होती। कर्म तथा भाग्य का संबंध अटूट है ।दोनों हमेशा ही साथ -साथ चलते हैं ।मेरे जीवन में भी ,ऐसे अनेक उदाहरण हैं------- जहां केवल भाग्य वश सफलता मिली है। दूसरे अधिकांश ऐसे उदाहरण हैं, जहां यदि हम तटस्थ होकर विचार करें------ तब अडिग रहते हुए संतुलित मस्तिष्क के साथ ,अपनी क्षमता , योग्यता ,परिस्थिति आदि-----कारकों पर बारंबार विचार कर ,उपलब्धियों पर हमेशा ही दृढ़ रहा हूं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहा हूं। अनेक अवसर ऐसे भी हैं जहां कितना भी प्रयास कर लो, सफल नहीं हो पाओगे। मेरी धारणा बन गई है कि ईश्वर मेरी मदद अवश्य करेगा। परंतु उस स्थिति में पहुंचकर ,जहां तुम्हें लगता है कि आप सब कुछ समाप्त ।परंतु मेरे विश्वास की जीत होती है कि मुझे विजेता बनाती है। मेरी मान्यता है कि ,हमेशा ही भाग्य( ईश्वर) हमारे साथ होता है ।वह समय-समय पर हमें सतर्क हो आगे बढ़ने का संकेत देता है ।परंतु हम उसे अनदेखा कर देते हैं। और यही हमारी चूक चोटिल होने ,अथवा हानि उठाने के लिए मजबूर कर देता है। और हम कहते हैं कि------ भाग्य में यही लिखा था। मान लीजिए, बहुत तेजी से कार आ रही है। आप की दूरी उससे अधिक नहीं है ।फिर भी आप अचानक दौड़ लगा देते हैं ।बेचारा गाड़ी वाला तेजी से ब्रेक लगाता है। परंतु तब तक आप चपेट में आकर अपने जीवन से हाथ धो बैठते हैं। गाड़ी वाले का संतुलन बिगड़ने से ,कई गाड़ियां भिड़ जाती हैं और भयंकर दृश्य बन जाता है।