कहानी का तीसरा अंक प्रकाशित हुआ
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मां अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती है। यही भावना इस मां में भी थी ।अपनी छोटी सी झोपड़ी में रहकर, मेहनत मजदूरी कर ,दो पैसे लाकर----- बच्चों को रूखा सूखा खिलान
बेटे और बेटियों ने मिलकर ,छोटे बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया ।मां को मजबूर किया कि ,अब बाहर के काम धीरे-धीरे समाप्त कर दें ।हम हैं ना ,आपके साथ ।चिंता की कोई