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कंगन

3 दिसम्बर 2021

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पिया! देखो ना,,
रिश्ता इन कंगनों का,,
है पूर्णतया भाँति हमारी...।

एक-दूजे में,,
पूर्णतया,,
पायी समानता...।

बिन एक-दूजे के,,
क्षण भर भी,,
अपूर्ण हैं ये कंगन...।

पिया! देखो ना,,
सभी अवस्था में,,
एक-दूजे के,,
पूरक हैं ये कंगन...।

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रचनाएँ
प्रेम झंकार
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इस किताब में एक से बढ़कर एक प्रेम काव्य पढ़ने को मिलेंगे। कहीं बारिश में भीगता प्यार, कहीं प्यार का इज़हार, कहीं बढ़ती नज़दीकियों का ख़ुमार, तो कहीं जज़्बातों की बहार। प्यार के हर रंग को देखने के लिए पुस्तक को अंत तक पढ़ें।

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