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पवित्र स्पर्श

28 नवम्बर 2021

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तुम्हारे हाथों ने जब मेरे,,
मस्तक को स्पर्शित किया...।
हृदय के सुन्दर सरोवर में,,
कमलद्वीप प्रज्वलित हुआ...।
मेरे मस्तक पर दमकती बिंदिया,,
को प्रेमज्योत में लीन किया...।
तुम्हारे होंठों से सम्पूर्ण स्नेहसागर,,
मेरे मस्तक पर अलंकृत हुआ...।
पवित्र प्रेमज्योत ने नभ की चंद्रिका,,
की भाँति आभा जागृत किआ...।
पवित्र स्पर्श की प्रेमज्योत तपिश,,
में रोम-रोम मेरा लीन हुआ...।
आज ह्रदय ने आत्मा को,,
अद्भुत भाँति से स्पर्शित किया...।
इस पवित्र स्पर्श में वासना नहीं,,
है सिर्फ स्नेहसागर का दिया...।
प्रेम भावना के रम्य भंवर में,,
मैंने वेदना से आँचल छुड़ा लिया...।
कोरे आँचल को तुम्हारे प्रेमज्योत,,
के सुन्दर मोतियों से शोभित किया...।
प्रेम की इन अद्भुत भावनाओं,,
में मन मेरा मुग्ध हुआ...।
आजन्म के लिए मैंने इस शोभनिय,,
प्रेमज्योत को लब्ध किया...।
5
रचनाएँ
प्रेम झंकार
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इस किताब में एक से बढ़कर एक प्रेम काव्य पढ़ने को मिलेंगे। कहीं बारिश में भीगता प्यार, कहीं प्यार का इज़हार, कहीं बढ़ती नज़दीकियों का ख़ुमार, तो कहीं जज़्बातों की बहार। प्यार के हर रंग को देखने के लिए पुस्तक को अंत तक पढ़ें।

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