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एक उलझन

28 नवम्बर 2021

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एक अजीब-सी उलझन है,
अजनबी-सा बना मेरा मन है।
कभी मन प्रीत का आँगन है,
तो कभी वेदना का वन है।
हृदय की वांछा उनके दर्शन हैं,
न देखूँ उन्हें तो हर दिशा अन्वेषण है।
कभी पल-पल बाट निहारते लोचन हैं,
तो कभी याद में उनकी नैना सावन हैं।
क्या वाकई प्रीत में पड़ा मेरा मन है,
बड़ी अजीब-सी ये उलझन है।

28 नवम्बर 2021

सृष्टि स्नेही

सृष्टि स्नेही

28 नवम्बर 2021

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रचनाएँ
प्रेम झंकार
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इस किताब में एक से बढ़कर एक प्रेम काव्य पढ़ने को मिलेंगे। कहीं बारिश में भीगता प्यार, कहीं प्यार का इज़हार, कहीं बढ़ती नज़दीकियों का ख़ुमार, तो कहीं जज़्बातों की बहार। प्यार के हर रंग को देखने के लिए पुस्तक को अंत तक पढ़ें।

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