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अभिप्रेरित करने वाली कहानी

11 जून 2015

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अभिप्रेरित करने वाली कहानी : जापान में हमेशा से ही मछलियाँ खाने का एक ज़रुरी हिस्सा रही हैं । और ये जितनी ताज़ी होतीं हैँ लोग उसे उतना ही पसंद करते हैं । लेकिन जापान के तटों के आस-पास इतनी मछलियाँ नहीं होतीं की उनसे लोगोँ की डिमांड पूरी की जा सके । नतीजतन मछुआरों को दूर समुंद्र में जाकर मछलियाँ पकड़नी पड़ती हैं।जब इस तरह से मछलियाँ पकड़ने की शुरुआत हुई तो मछुआरों के सामने एक गंभीर समस्या सामने आई । वे जितनी दूर मछली पक़डने जाते उन्हें लौटने मे उतना ही अधिक समय लगता और मछलियाँ बाजार तक पहुँचते-पहुँचते बासी हो जातीँ , ओर फिर कोई उन्हें खरीदना नहीं चाहता ।इस समस्या से निपटने के लिए मछुआरों ने अपनी बोट्स पर फ्रीज़र लगवा लिये । वे मछलियाँ पकड़ते और उन्हें फ्रीजर में डाल देते । इस तरह से वे और भी देर तक मछलियाँ पकड़ सकते थे और उसे बाजार तक पहुंचा सकते थे । पर इसमें भी एक समस्या आ गयी । जापानी फ्रोजेन फ़िश ओर फ्रेश फिश में आसनी से अंतर कर लेते और फ्रोजेन मछलियों को खरीदने से कतराते , उन्हें तो किसी भी कीमत पर ताज़ी मछलियाँ ही चाहिए होतीं । एक बार फिर मछुआरों ने इस समस्या से निपटने की सोची और इस बार एक शानदार तरीका निकाला , .उन्होंने अपनी बड़ी – बड़ी जहाजों पर फ़िश टैंक्स बनवा लिए ओर अब वे मछलियाँ पकड़ते और उन्हें पानी से भरे टैंकों मे डाल देते ।टैंक में डालने के बाद कुछ देर तो मछलियाँ इधर उधर भागती पर जगह कम होने के कारण वे जल्द ही एक जगह स्थिर हो जातीं ,और जब ये मछलियाँ बाजार पहुँचती तो भले वे ही सांस ले रही होतीं लकिन उनमेँ वो बात नहीं होती जो आज़ाद घूम रही ताज़ी मछलियों मे होती , ओर जापानी चखकर इन मछलियों में भी अंतर कर लेते । तो इतना कुछ करने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई थी।अब मछुवारे क्या करते ? वे कौन सा उपाय लगाते कि ताज़ी मछलियाँ लोगोँ तक पहुँच पाती ?नहीं, उन्होंने कुछ नया नहीं किया , वें अभी भी मछलियाँ टैंक्स में ही रखते , पर इस बार वो हर एक टैंक मे एक छोटी सी शार्क मछली भी ङाल देते। शार्क कुछ मछलियों को जरूर खा जाती पर ज्यादातर मछलियाँ बिलकुल ताज़ी पहुंचती।ऐसा क्यों होता ? क्योंकि शार्क बाकी मछलियों की लिए एक चैलेंज की तरह थी। उसकी मौज़ूदगी बाक़ी मछलियों को हमेशा चौकन्ना रखती ओर अपनी जान बचाने के लिए वे हमेशा अलर्ट रहती।इसीलिए कई दिनों तक टैंक में रह्ने के बावज़ूद उनमे स्फूर्ति ओर ताजापन बना रहता। आज बहुत से लोगों की ज़िन्दगी टैंक मे पड़ी उन मछलियों की तरह हो गयी है जिन्हे जगाने की लिए कोई शार्क मौज़ूद नहीं है। और अगर दुर्भाग्यवश आपके साथ भी ऐसा ही है तो आपको भी आपने जिंदगी में नयी चुनौतियों को स्वीकार करना होगा। आप जिस दिनचर्या के आदि हों चुकें हैँ ऊससे कुछ अलग़ करना होगा, आपको अपना दायरा बढ़ाना होगा और एक बार फिर ज़िन्दगी में रोमांच और नयापन लाना होगा। नहीं तो , बासी मछलियों की तरह आपका भी मोल कम हों जायेगा और लोग आपसे मिलने-जुलने की बजाय बचते नजर आएंगे। और दूसरी तरफ अगर आपकी लाइफ में चैलेंजेज हैँ , बाधाएं हैँ तो उन्हें कोसते मत रहिये , कहीं ना कहीं ये आपको ताजा और जिंदा बनाये रखती हैँ , इन्हेँ स्वीकार करिये, इन्हे परास्त करिये और अपना तेज बनाये रखिये। सोर्स : सोशल मीडिया

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अत्यंत सुन्दर एवं प्रेरक लघु-कथा हेतु बधाई !

12 जून 2015

शालिनी कौशिक एडवोकेट

शालिनी कौशिक एडवोकेट

ekdam sahi sheershak diya hai aapne .nice presentation .thanks

11 जून 2015

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राष्ट्रवाद और नकली आजादी

11 जून 2015
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मेरे विचार में राष्ट्रवाद की जरूरत तबतक तो है जबतक मरी हुई कौम जिसने अपनी पहचान तक भुला दी हो.. और बाहरी आडम्बरों में फस कर दिन-बा-दिन अपने असली पहचान से दूर भागने लगें... क्योंकि आजादी मानसिक भी होनी चाहिए ...पर हम बस दिखावटी आजादी की तरफ भाग रहे है...ये कुछ ऐसा है कि आजादी के नाम पर हमें बहकाया जा

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सरकार और एन जी ओस् ?

11 जून 2015
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करीब 8000+ एन जी ओ पर मौजूदा सरकार की कार्यवाही .!!!! और साथ ही साथ उठ रहे सवालो मेरी छोटी सी राय... अधिकतर विदेशी पैसा जो एन जी ओस् के जरिए आते है उसका उपयोग धर्मांतरण , और ब्लैक मनी को व्हाइट किये जाने होता है.. और कौन सी गलत कार्यवाही की सरकार अगर फर्जी और धार्मिक अस्थिरता पैदा करने वाली संस्थाओ

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अभिप्रेरित करने वाली कहानी

11 जून 2015
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अभिप्रेरित करने वाली कहानी : जापान में हमेशा से ही मछलियाँ खाने का एक ज़रुरी हिस्सा रही हैं । और ये जितनी ताज़ी होतीं हैँ लोग उसे उतना ही पसंद करते हैं । लेकिन जापान के तटों के आस-पास इतनी मछलियाँ नहीं होतीं की उनसे लोगोँ की डिमांड पूरी की जा सके । नतीजतन मछुआरों को दूर समुंद्र में जाकर मछलियाँ पकड़नी

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