मेरी कुछ कविताएं है जो प्रेम मे बिछड़ने के गम को बयान कर रही हैं।
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तुम्हें पाने की ख़्वाहिश तो ना थी, पर तुमसे बिछड़ जाने का गम जरूर था। तुम्हारे पास आने की ख़ुशी तो ना थी, पर तुम्हारे दूर जाने का दर्द जरूर था। तुम तो कहते थे, खास है हम तुम्हारे लिए, तोहफ़ा
इस दिल को कैसे समझाएं ये समझता नहीं है तुम्हारे दिये ज़ख्मों से उभरता नहीं है बिछड़ के भी क्या कोई जिंदा रह सकता है पर काट के भी क्या कोई परिंदा रह सकता है तुम झूठ हो, फरेब हो ये बताना चाहते
कह दो कि लौट आओगे, प्यार से हमारे गालों को सहलाओगे उमर भर साथ निभाओगे, कह दो कि लौट आओगे। उन गलियों में फिर साथ चलेंगे, हाथो में लेकर हाथ चलेंगे, कह दो कि वादा निभाओगे, कह दो कि लौट आओगे।
तुम जुदा क्या हुए हम चहकना भूल गए बागों में टहलना भूल गए तुम जुदा क्या हुए मन के फूल महकना भूल गए खुशी में बहकना भूल गए तुम जुदा क्या हुए सूख के कली कांटा हो गई बहारों की अब रौनक खो गई