ये किताब कुछ प्रेम कहानियों का संग्रह है। जिसमे प्रेम के अलग-अलग रूप को दर्शाया गया है।
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कुछ समय पहले श्रद्धा की बहन सौम्या की शादी शेखर से हुई थी। सौम्या बहुत खुले विचारो वाली लड़की थी. शादी के बाद भी उसका अपने दोस्तों के साथ घूमना फिरना। वो बेपरवाह सा स्वभाव था। वो अक्सर मायके आ जाया कर
सुरक्षा गार्डों को निर्देश देते हुए आज पहली बार विक्रम ने रश्मी को देखा था। उसे देखते ही वो मंतर मुग्ध हो गया था। जैसे उसी की तलाश हो उसे । ये गर्ल्स कॉलेज है सुरक्षा में कोई चूक नहीं होनी चाहिए। आज स
शॉपिंग करके बाहर ही निकली थी कि याद आया मेरा पर्स अंदर ही रह गया। मैंने अपने पति हर्ष से कहा कि वो बच्चों के साथ पार्किंग में जाए, मैं अभी आती हूं। शॉप में घुस्ते ही किसी ने पीछे से आवाज दी, आरुषि। मै
मनीषा और विक्रम मिले तो अरेंज मैरिज के तौर पर थे। कुछ साल पहले विक्रम का एक्सीडेंट हो गया था। जिसके कारण उसका बांया अंग पैरालाइज हो गया था। धीरे-धीरे वो ठीक तो हुआ पर एक पैर से अभी भी हल्का लंगड़ाता थ
पीछे से आवाज आई वासुधा। क्या वासु आज का दिन तो टाइम पर आते। मम्मी पापा क्या सोचेंगे पहली बार मिलवाने ले जा रही हूं। उसका नाम सुधा था। पर वासु उसे हमेशा वासुधा बुलाता था। उसके साथ अपना नाम जोड़ कर।