खोल अपने चक्षुओं को,
आत्मिक अन्तःकरण को
ज्योत ज्ञान की जलाकर
अज्ञानता का तम मिटाओ
हे मनुज खुद को जगाओ
उठ देख अपनी शक्ति भुजाएँ
ऊर में स्पन्दित रक्त शिराएँ
कर्म की अग्नि जलाकर
दुर्भाग्य तिमिर को हटाओ
हे मनुज खुद को उठाओ
पहचान अपने शौर्यबल को
निज सिन्धु सम धैर्यमन को,
आत्मबल को उदित कर
हीन भाव को मिटाओ
हे मनुज खुद को बनाओ
ले संज्ञान स्वीय शूरता का
कर भान अपनी ओजता का
आशा की पतवार प्रबल कर
गंतव्य पथ पर अगुवाओ
हे मनुज स्व को बढ़ाओ
है पञ्चभूतों की शक्ति तुम में
हो दिव्यता का अंश तुम
तपा पर अपनी शिराएँ
जीवन लक्ष्य को सधाओ
हे मनुज खुद को जगाओ ।