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पूजा अर्चन

12 अक्टूबर 2021

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चलो पूजा करें
बिन धूप और दिए के,

आरती करे,
भीतर समाहित उस
शाश्वत कंपायमान ऊर्जा से,
दीप दान करे,
चेतना के समस्त रागों का
सृष्टि की परिधि से,
गुंजायमान करें,
अंतस के अनाहत से
स्वयं को...

चलो जोड़े,
हाथ नही,
सृष्टि के स्रोत को
स्वयं से.....
13
रचनाएँ
कविता कानन
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यह पुस्तक मेरी आध्यात्मिक कविताओं का संग्रह है ।
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शिव स्तुति

7 अक्टूबर 2021
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<div><b>नमामि मृगाधीश शिवस्वरूपम्</b></div><div><b>कालम् कृपालं महाकाल ईशम् ।</b></div><div><b><br><

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महेश्वरम् नमाम्यहम्

7 अक्टूबर 2021
3
3
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<div align="left"><p dir="ltr">जटा जूट शेखरम्,<br> ग्रीवा भुजंग महेश्वरम्<br> शीश गंग, भाल चंद्र,<br

3

हे ईश पद्मनाभ

8 अक्टूबर 2021
1
3
0

<div><b><br></b></div><div><br></div><div><img style="background: gray;" src="https://shabd.s3.us-ea

4

मेरा मन बंसी है राधे

9 अक्टूबर 2021
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<div><img style="background: gray;" src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/614f333d2

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हे शिव

12 अक्टूबर 2021
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2

<div><br></div><div><div>हे शिव उतरो आज अन्तःकरण में,</div><div><br></div><div>खोल चेतना द्वार, करो

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पूजा अर्चन

12 अक्टूबर 2021
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3
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<div><br></div><div><img style="background: gray;" src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/art

7

ईश प्रेम

13 अक्टूबर 2021
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<div><div><br></div></div><div><ul><li><div align="left"><p dir="ltr">क्यों तुम्हारे प्रेम में शिव,<

8

स्वयं से सत्व तक

18 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><div align="left"><p dir="ltr">🌻❇🌻❇🌻<br> मन के इस अथाह सागर में<br> होती प्रश

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खुद को पहचानो

19 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><div align="left"><p dir="ltr">खोल अपने चक्षुओं को,<br> आत्मिक अन्तःकरण को<br> ज

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खुद को पहचानो

19 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><div align="left"><p dir="ltr">खोल अपने चक्षुओं को,<br> आत्मिक अन्तःकरण को<br> ज

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श्री राम वंदना

5 नवम्बर 2021
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<div><b>नमो सरोजलोचनं समस्त ताप मोचनम्</b></div><div><b>सु श्यामलं मनोहरं सियाविभूति वल्लभम्</b></di

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रिक्तता

12 नवम्बर 2021
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<div><b>शून्यता से व्योम नक्षत्र</b></div><div><b>है शून्यता ही ईश जैसी...</b></div><div><b>रिक्तता

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श्री हरि विष्णु स्तुति

4 दिसम्बर 2021
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<div><br></div><div><div>जय नाथ रमापति विष्णु प्रभो, जलधाम कृपा जगदीश विभो</div><div>जय माधव मोहक कृ

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