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ईश प्रेम

13 अक्टूबर 2021

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  • क्यों तुम्हारे प्रेम में शिव,
    अश्रु मेरे बह रहे है...
    क्यों इतना मन व्यथित है,
    प्राण मोती झर रहे है...

    जानती हूं दूर नही तुम
    जर्रे जर्रे में बसे हो,
    रोम रोम व्याकुल है फिर भी
    वेदना क्यों कस रहे हो...

    कैसी भौतिकता की परिधि
    व्यूह ऐसा जो रचा है,
    मुक्त कर दो अब मुझे,
    यह देह बंधन कस रहा है....

    अब तुम्हारे प्रेम में शिव
    श्वास मोती झर रहे है.....


आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

सुन्दर रचना

14 अक्टूबर 2021

विष्णुप्रिया

विष्णुप्रिया

14 अक्टूबर 2021

बहुत बहुत स्नेहाभार आपका..💐💐🙏

13
रचनाएँ
कविता कानन
0.0
यह पुस्तक मेरी आध्यात्मिक कविताओं का संग्रह है ।
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शिव स्तुति

7 अक्टूबर 2021
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7 अक्टूबर 2021
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8 अक्टूबर 2021
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9 अक्टूबर 2021
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12 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><div>हे शिव उतरो आज अन्तःकरण में,</div><div><br></div><div>खोल चेतना द्वार, करो

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पूजा अर्चन

12 अक्टूबर 2021
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ईश प्रेम

13 अक्टूबर 2021
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स्वयं से सत्व तक

18 अक्टूबर 2021
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19 अक्टूबर 2021
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19 अक्टूबर 2021
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5 नवम्बर 2021
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रिक्तता

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श्री हरि विष्णु स्तुति

4 दिसम्बर 2021
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<div><br></div><div><div>जय नाथ रमापति विष्णु प्रभो, जलधाम कृपा जगदीश विभो</div><div>जय माधव मोहक कृ

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