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खुद को पहचानो

19 अक्टूबर 2021

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खोल अपने चक्षुओं को,
आत्मिक अन्तःकरण को
ज्योत ज्ञान की जलाकर
अज्ञानता का तम मिटाओ
हे मनुज खुद को जगाओ

उठ देख अपनी शक्ति भुजाएँ
ऊर में स्पन्दित रक्त शिराएँ
कर्म की अग्नि जलाकर
दुर्भाग्य तिमिर को हटाओ
हे मनुज खुद को उठाओ

पहचान अपने शौर्यबल को
निज सिन्धु सम धैर्यमन को,
आत्मबल को उदित कर
हीन भाव को मिटाओ
हे मनुज खुद को बनाओ

ले संज्ञान स्वीय शूरता का
कर भान अपनी ओजता का
आशा की पतवार प्रबल कर
गंतव्य पथ पर अगुवाओ
हे मनुज स्व को बढ़ाओ

है पञ्चभूतों की शक्ति तुम में
हो दिव्यता का अंश तुम
तपा पर अपनी शिराएँ
जीवन लक्ष्य को सधाओ
हे मनुज खुद को जगाओ ।


13
रचनाएँ
कविता कानन
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यह पुस्तक मेरी आध्यात्मिक कविताओं का संग्रह है ।
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शिव स्तुति

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8 अक्टूबर 2021
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9 अक्टूबर 2021
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12 अक्टूबर 2021
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पूजा अर्चन

12 अक्टूबर 2021
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13 अक्टूबर 2021
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स्वयं से सत्व तक

18 अक्टूबर 2021
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खुद को पहचानो

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श्री राम वंदना

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<div><b>नमो सरोजलोचनं समस्त ताप मोचनम्</b></div><div><b>सु श्यामलं मनोहरं सियाविभूति वल्लभम्</b></di

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रिक्तता

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<div><b>शून्यता से व्योम नक्षत्र</b></div><div><b>है शून्यता ही ईश जैसी...</b></div><div><b>रिक्तता

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श्री हरि विष्णु स्तुति

4 दिसम्बर 2021
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<div><br></div><div><div>जय नाथ रमापति विष्णु प्रभो, जलधाम कृपा जगदीश विभो</div><div>जय माधव मोहक कृ

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