मेरा मन बंसी है... राधे..!!
सुख दुख के है, छीद्र अनेको
भीतर खोखली बाजे,
बाँट जोहती, तुम्हरे प्रेम में
नैना सूखे जाते,
अब तो आकर, निज अधरन से
प्राण फूंक दो प्यारे,
मेरा मन बंसी है... राधे..!!
बनी काठ की सूखी टहनी
हरी पात बिसराई
मात पिता की डाल छोड़
तेरे चरणों में आई
अब तो कान्हा निज करधन में
धारण कर लो प्यारे..
मेरा मन बंसी है...राधे