कुछ रंग तू भर दे स्याही में ,
कुछ हवा दे दे अरमानों को,
कलम भी तेरी कलाम भी तेरा,
तू रुख बदल दे तूफानों के ...
6 दिसम्बर 2016
कुछ रंग तू भर दे स्याही में ,
कुछ हवा दे दे अरमानों को,
कलम भी तेरी कलाम भी तेरा,
तू रुख बदल दे तूफानों के ...
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अभी तो शुरुआत है, अपने बारे में
कुछ समय बाद लिखना चाहूंगी.
(सिमित साँस, स्वपन अनंत, अंतरद्वंद )
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