याद के साये…
लम्हा लम्हा, पलछिन पलछिन
गुज़र गए हैं, एक दिन दो दिन
धुआँ धुआँ हैं, याद के साये
ये दिन वो दिन, वो दिन ये दिन,
अब भी अक्सर आते जाते,
उड़ते फिरते, आवारा से,
बादल के छिछोरे गुब्बार,
अनचाहे ही ज़िद्दी बन के,
छू के करें ठिठोली मन से,
बन बन बारिश की बौछार…
महक उड़ा सौंधी मिट्टी की ,
जगा गए हैं, अतृप्त प्यास ,
जीने को आतुर,
मन फिर से व्याकुल ,
प्रतीक्षारत जैसे फिर से आस…
लम्हा लम्हा, पलछिन पलछिन
गुज़र गए हैं, एक दिन दो दिन
धुआँ धुआँ हैं, याद के साये
ये दिन वो दिन, वो दिन ये दिन
By - Sneha Dev