आज पूरे देश में विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जा रहा है। यह उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण के लिए 15 मार्च को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत करने वाले अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी थे। उन्होने उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दे पर अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था ऐसा करने वाले जॉन एफ केनेडी प्रथम व्यक्ति थे। इसी कारण से उपभोक्ता आंदोलन प्रतिवर्ष इसी दिन को उपभोक्ता के अधिकारों के बारें में वैश्विक जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से मनाते है। प्रथम बार विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस 1983 में मनाया गया था। भारत देश में जहां 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है वहीं प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रुप में मनाया जाता है। आइए जानते है भारत में उपभोक्ता के अधिकार के संरक्षण के लिए बनाए गए कानून क्या है-
आज हर व्यक्ति उपभोक्ता है, चाहे वह कोई वस्तु ख़रीद रहा हो या फिर किसी सेवा को प्राप्त कर रहा हो। इसके बावजूद बढ़ते बाजारवाद के दौर में उपभोक्ता संस्कृति तो देखने को मिल रही है, लेकिन उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी है।दुकानदार हो या व्यापारी अपने मुनाफे के लिए ये वस्तुओं में मिलावटखोरी और चोरी करते है जिस कारण उपभोक्ता द्वारा चुकाए गए रुपयों का पूर्णत लाभ उसे नहीं मिल नहीं पाता है। हालांकि भारत सरकार कहती है जब आप पूरी कीमत देते हैं तो कोई भी वस्तु वज़न में कम न लें। उपभोक्ता के हितों को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 लागू किया गया जिससे उपभोक्ता के हितों का पूरा ध्यान रखा जा सके।उपभोक्ता कानून के अंतर्गत उपभोक्ताओं को दिए जाने वाला अधिकार निम्न है-
उपभोक्ताओं के अधिकार
सुरक्षा का अधिकार- इसके अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं के विपणन के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करना, जो जीवन और सम्पत्ति के लिए जोखिम पूर्ण है। ख़रीदी गई वस्तुएं और सेवाएं न केवल तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति करें बल्कि इनसे दीर्घ अवधि हितों की पूर्ति भी होनी चाहिए। ख़रीदने से पहले उपभोक्ताओं द्वारा वस्तुओं की गुणवत्ता पर जोर दिया जाना चाहिए और साथ ही उत्पाद तथा सेवाओं की गारंटी पर बल दिया जाना चाहिए। उन्हें वरीयत: गुणवत्ता चिन्ह वाले उत्पाद ख़रीदने चाहिए जैसे आईएसआई, एग मार्क आदि।
सूचना पाने का अधिकार- इस अधिकार के तहत उपभोक्ता को वस्तुओं की मात्रा, गुणवत्ता, शक्ति, शुद्धता, स्तर और मूल्य के बारे में जानकारी पाने का अधिकार है ताकि अनुचित व्यापार प्रथाओं के विरुद्ध उपभोक्ता को सुरक्षा दी जा सके।
चुनने का अधिकार- इसके जरिए उपभोक्ता अपने मनपंसद सामान या वस्तुओं को क्रय कर सकें। इस कानून के तहत किसी एक वस्तु का बाजार पर एकाधिकार नहीं रहे। ग्राहक को संतोषजनक गुणवत्ता और सेवा का आश्वासन उचित मूल्य पर मिल सके।
सुने जाने का अधिकार- उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान में रखते हुए उनकी समस्याओं को एक मंच देकर उसे सुलझाया जा सकें। इसमें उपभोक्ता कल्याण पर विचार करने हेतु गठित विभिन्न मंचों में अधिकारों का प्रतिनिधित्व भी शामिल है।
विवाद सुलझाने का अधिकार- अनुचित व्यापार प्रथाओं या उपभोक्ताओं के गलत शोषण के विरुद्ध विवाद सुलझाने का अधिकार में शामिल है। इसमें उपभोक्ता की वास्तविक शिकायतों के उचित निपटान का अधिकार भी शामिल है। उपभोक्ताओं द्वारा अपनी वास्तविक शिकायतों के लिए शिकायत दर्ज कराई जानी चाहिए। कई बार शिकायत बहुत कम कीमत की होती है। इसमें उपभोक्ता संगठनों की सहायता से भी अपनी शिकायतों का निपटान किया जा सकता है।