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लडकी

hindi articles, stories and books related to Ladki


जन्मसिद्धता तू ही नहीं, सभी खुश थे मेरे दुनियां में आने की खबर सुन लेकिन जब किलकारी गूंजी तेरे घर आंगन में मायूस भरे उदास चेहरे हुए कारण समझ ना पाई पर तू जग की रीति निर्वाह अनबूझ रही मुझसे क्या मैं चिराग नहीं दहेज ढोने वाली ठुमके ठुमक करते पग फूटी आँख किसी को ना सुहाते स्वतंत्रता पर प्रश्न चिन्ह लगा

आधे लोग तो बस इसीलिये बक बकाने लगते हैं कि - लडकी है और इतना बोल गयी... लडकी है और इतना कर गयी... इतने लड़को को सुना दी ! फ़िर कुछ सोचते हैं केसे भी करके इसकी आवाज़ दबा दे ... बस यही वो सबसे बडी भूल कर जाते हैं ! उन्हे लगता है जेसे उनकी घर की औरते हैं विजि ही और है क्युकिं

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