इस संसार में प्रत्येक मनुष्य को अपना कार्य करने के लिए किसी अन्य इंसान की आवश्यकता होती है। पूरी दुनिया में सर्वशक्ति-मान ईश्वर की अतिरिक्त ऐसा कोई नहीं है,जो अपना कार्य बिना किसी सहायता एवं मार्गदर्शन के कर सकें।
हमारे भारतीय साहित्य एवं पौराणिक ग्रन्थों में ईश्वर के भी विभिन्न अवतारों जैसे की रामायण में भगवान श्री राम जी ने हनुमान जी को सहायक बना कर माँ सीता की खोज करवाई एवं भगवान श्री कृष्णा अपने मित्र अर्जुन को सहायक बनाकर अन्याय का अतं किया।
अन्य लोगों का सहयोग लेकर ही हर कार्य को पूर्ण करना ताकि संसार को यह सीख मिले कि एक-दूसरे की मदद नि:स्वार्थ भाव से करने से ही सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
इसी तरह मुझे याद आती है एक घटना जब मौसम ग्रीष्मऋतु का आ चुका था। हमारे गांव के स्कूल की इम्तिहान के बाद ग्रीष्म-कालीन छुट्टियां आने ही वाली थी तब ही हमारे गांव के एक स्कूल में सरकारी विद्यालय में सरकार का यह फरमान आया कि इस बार गर्मी में भी सर्वे कार्य करना पड़ेगा। सारा स्टाफ आश्चर्यचकित रह गया। आदेश यह आया था कि ग्रीष्मकाल में सर्वे कार्य के लिए एक शिक्षक की ड्यूटी लगाई जाए।उस विद्यालय के मुख्याध्यापक महोदय ने आसपास के लोगों की ड्यूटी न लगा कर,एक ऐसे शिक्षक की ड्यूटी लगाई। जिनका नाम श्री कुमार गौतम था उनका घर विद्यालय से 200 किलोमीटर दूरी पर था। सरकार एवं अधिकारियों के निर्देशों की पालना में उन्हें इस सरकारी फरमान को तामील करना ही था ।
घर से दूर रहने वाला वह शिक्षक, अपने परिवार एवं मित्रों से महीने भर की आने वाली गर्मियों की छुट्टियों के लिए वह लाखों सपने संजोए रखा था और इंतजार कर रहा था कि छुट्टियों में वह उसके अपनों के साथ पूरे आनन्द से बिताएगा।खट्टी- मीठी यादों को साझा करेगा।अपने रिश्तेदारों से मुलाकात करेगा, अपने प्रियजनों के साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करेगा परंतु यह अधिकारियों का ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में फरमाया गया आदेश उसकी उसके सपनों पर कुठाराघात के समान था। वह शिक्षक लगातार अपने अधिकारी एवं अन्य साथियों से मिन्नते करता रहा परंतु उसे कोई सहायता नहीं मिल पाई । फिर एक साधारण और मृदुभाषी, गहरा रंग,लम्बा कद और धैर्यवान शिक्षक श्री धर्मसिंह जी ने कुमार गौतम जी के स्थान पर ग्रीष्मकल में छुट्टी के दौरान कार्य करने की सहमती दर्ज कराई, जिसके लिए दोनों ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करके अधिकारी महोदय को सौंप दिया ,उसको अधिकारी महोदय ने स्वीकार करते हुए सोशल मीडिया समूह में अपने लेखन के द्वारा इस सहमति को सत्यापित करते संशोधनात्मक आदेश निकाल दिया। यह बता दिया की पूर्व शिक्षक कुमार गौतम जी की जगह अब धर्म सिंह जी कार्य करेंगे। सरकारी कर्मचारियों के संगठनों द्वारा कड़े संघर्ष के बाद सरकार द्वारा प्रावधान किया गया है कि निर्धारित कार्यावधि के अतिरिक्त कार्य करने वाले कर्मियों को अतिरिक्त मौद्रिक लाभ दिया जाए। जिसके लिए ड्यूटी लगाने वाले के आदेश होना आवश्यक है ताकि वह कर्मचारी जिसकी ग्रीष्मकल में ड्यूटी लगी है वह हताश न होकर उसे अतिरिक्त मौद्रिक पारिश्रमिक के बदले पूरी लगन और मेहनत से अपने कार्य को अंजाम तक पहुंचा सकें। इसी काल में धर्मसिंह जी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से चिलचिलाते धूप और हाथ जला देने वाली गर्मी में, घर-घर जाकर कार्य को समय से पूर्ण करते रहे एवं साथ ही प्रतिदिन कार्य पूर्णता की का प्रतिवेदन अधिकारी महोदय को मोबाइल के द्वारा ऑनलाइन भिजवाते रहे ताकि अधिकारी महोदय संतुष्ट रहे एवं वे अपने उच्च अधिकारियों को संतुष्टि पूर्ण कार्यवाही की रिपोर्ट दे सकें। धर्मसिंह जी इतने सरल थे कि वह जिन लोगों के साथ सरकारी कार्य करते उन ग्रामीणों के साथ अपनी फोटो भी सोशल मीडिया ग्रुप में शेयर करते अधिकारी जी को विश्वास रहे कि वे वास्तव में कार्य कर रहें है सिर्फ काम करने का दिखावा नहीं कर रहे हैं। ऐसे ही वह अधिकतर कार्य ग्रीष्मकल के दौरान चलता रहा एवं धर्मसिंह प्रतिदिन प्रतिवेदन भेजने रहे इसी प्रकार उनकी सारी गर्मियों की छुट्टियां छूमंतर हो गई और फिर आई नया विद्यालय सत्र शुरू होने की बारी, तब तक गर्मियों का सरकारी आदेश के अनुसार सारा कार्य समाप्त हो चुका था एवं जिन लोगों ने गर्मी के दौरान कार्य किया था उनके अतिरिक्त मौद्रिक लाभ के आदेश सरकार द्वारा आने लगे थे। तब ही दोनों शिक्षक ग्रीष्मकालीन सरकारी कार्य के बदले अतिरिक्त मौद्रिक लाभ प्राप्त करने के लिए अधिकतर अधिकारी जी से संपर्क किया तो अधिकारी जी ने यह कहते हुए साफ इनकार कर दिया आपने तो ड्यूटी की नहीं। जिसने ड्यूटी की है उनका मैंने आदेश जारी नहीं किया।तो गौतम जी बोले कि मेरे स्थान पर धर्मसिंह जी ने पूरी ईमानदारी से कार्य किया है जिसकी निरंतर पालना रिपोर्ट आपको सोशल मीडिया ग्रुप में भी दी गई थी और साथ में फोटो भी ली गई थी परंतु अधिकारी जी नहीं माने। उनका वही प्रत्युत्तर कि जिसके लिए मैं आदेश निकाला था उसने कार्य किया नहीं और जो कार्य किया उसके लिए मैं आदेश निकाला नहीं जबकि उन्होंने सोशल मीडिया पर वह आदेश निकाला था । हर सरकारी कर्मचारी जानता हैं कि अधिकांशतः आज के जमाने में सरकारी कर्मचारियों को दिए जाने वाले आदेश सोशल मीडिया के विभिन्न एप्लीकेशन जिसमें ईमेल व्हाट्सएप टेलीग्राम इत्यादि के माध्यम से ही प्रसारित किए जाते हैं एवं कार्य की रिपोर्ट प्रस्तुत कर की जाती है और इसी के माध्यम से किसी आदेश को तामिल किया जाता है परंतु अधिकारी जी ने अपनी आदेश जो सोशल मीडिया के माध्यम से निकला था उसको मानने से से इनकार कर दिया । एवं श्री गौतम जी सर यह बार-बार खाने के बावजूद भी अधिकारी जी ने साफ इनकार कर दिया । अधिकारी महोदय ने बोला कि मैं किसी भी कीमत पर आपके अतिरिक्त मौद्रिक लाभ के लिए वरिष्ठ लिपिक महोदय को आदेशित नहीं करूंगा फिर धर्मसिंह जी ने हताश हो कर अपने मन मे यह बिठा लिया कि व्यावहारिक रूप में किसी की मदद करना सही नहीं है हर कार्य लिखित में नियमबद्ध हो कर ही करना चाहिए।मदद करने के बदले उनको दुखी पहुंचा यह आज के हमारे सरकारी सिस्टम की सत्यता है।