10 जून 2022
पहाड़ों से झर-झर बह रहा है झरना,इधर मैं भी देख रहा हूँ एक सपना ।नदी का आकार ले रहा है झरना,यौनवित हो रहा है मेरा भी सपना।काले अँधेरे से नहीं है डरना,सूरज की रोशनी का यही है कहना।कितनी भी बाधाएँ आयें तु