अर्धचंद्र मस्तक पर साजे
करती माँ सिंह की सवारी
माँ का तृतीय रूप चंद्रघंटा
नाद स्वर का कर अलंकार
दिव्य रूप धारिणी तुम माँ
किया महिषासुर का संहार
शक्तिप्रदायिनी आदिशक्ति
दस भुजा शोभित अराध्य माँ
ओजस्विता की प्रतीक तुम
करे अर्चना माँ चंद्रघंटा की
देती वीरता का उपहार माँ
स्वर्ण आभा लिए माँ हैं आई
मणिपुर चक्र में ध्यान जो धरे
कष्ट रोग से मुक्ति दिलाती माँ
शिवअर्धांगिनी कल्याण करो
सजा अब दरबार माँ तुम्हारा है
कल्याणी माँ अब कल्याण करो
सारा संसार चरण आया तिहारी है
आरती झा(स्वरचित व मौलिक)
दिल्ली
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