कहते हैं कि जीवन के हर पहलु में चाहे राजनीति ही क्यों ना हो; थोड़ी शर्म तो होनी ही चाहिए| परन्तु जनता परिवार के वे नेता जिन्होंने जय प्रकाश नारायण के सहारे राजनीति में प्रवेश किया, उनके सिद्धांतों का समर्थन किया और उनको अपना आदर्श माना, ना कुर्सी को सिर्फ बपौती समझा; बल्कि जाति-धर्म के नाम पर अपनी अलग प्रकार की राजनीति शुरू कर दी और केवल अपने और अपने परिवार के महत्व को आगे रख कर कार्य किया है| परिवारवाद की गंगोत्री भले ही कांग्रेस हो पर इन नए नंदों ने तो पूरी गंगा को ही प्रदूषित कर दिया है| आज लगभग देश का बड़ा हिस्सा ऐसे ही परिवार वालों की मुट्ठी में है| नहीं तो मुलायम का समाजवाद, लालू का पिछड़ावर्ग, मायावती का आंबेडकर प्रेम, नीतिश का अतिपिछड़ा प्रेम-सब मिलकर सिर्फ मुस्लिम प्रेम किस प्रकार बन जाता है| २०१४ के लोक सभा चुनाव के पहले ये सब समझते थे कि मुसलमानों का इनसे बढ़कर बड़ा कोई शुभ चिंतक ही नहीं है; और लगभग सिर्फ इनकी राजनीति इसके लिए जिम्मेदार है कि उत्तर प्रदेश तथा बिहार से एक भी मुस्लिम नहीं जीता| शुक्र है; मुलायम ने तो कहा था कि अब मैं संसद में किनके साथ बैठूंगा; पर और किसी ने हिम्मत नहीं की| राज भले ही इन सबने इन मुसलमानों को मुर्ख बना कर किया परन्तु इनकी दशा सुधारने के लिए कुछ भी नहीं किया; सिवाय इसके कि कौम के कुछ दलालों को कुर्सी का साथी बना लिया| ये है इनकी जात| मुसलमानों में बहुसंख्यक की दुर्दशा के मुख्य दोषी ये ही राजनेता हैं|
नीतिश कभी भी अपने बल पर बिहार में चुनाव नहीं जीते हैं| वे हमेशा भारतीय जनता पार्टी की कृपा से मुख्यमंत्री बने हैं| मोदी के उत्थान से जले नीतिश विधवा विलाप कर रहे हैं| उन्हें कुर्सी से कितना प्रेम है हाल के घटनाक्रम से ज़ाहिर होता है| नैतिकता और महादलित की बात करने वाले आज जंगल राज के मठाधीश श्री श्री १००००००००८ चाराचोर महाचालू श्रीमान जेल अधिपति लालू के चरणों में समर्पित हैं| कमसे कम ऐसे भी तो कुर्सी मिले| रही नैतिकता तो बाद में ठीक कर लेंगे|
सालों बाद बिहार में एक ऐसी सरकार बनी थी; जो थोड़ा अलग और अच्छा काम कर रही थी, परन्तु नीतिश ने अपनी ईर्ष्या, हड़बड़ाहट, ज़िद, मूर्खता और महत्वाकांक्षा के कारण गुड़ गोबर कर दिया| थोड़ा संयम से काम लेना था और बिहार को बीमारी से निकालना चाहिए था| अब आगे अनिश्चित भविष्य बिहार का साथी है| कहीं ऐसा ना हो की यहाँ भी 'अच्छे दिन आने वाले हैं.....!' का जलवा चल जाये और ये भष्मासुर (लालू+नीतिश++++) मलवा बन जाएँ| कुछ भी हो; बिहार का स्वस्थ होना काफी ज़रूरी है|
हमें क्या?
जय बिहार! जय हिन्द!!